हृदय रोग दुनिया भर में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है, और इसके जोखिम कारकों को समझना इसको रोकने की दिशा में पहला कदम है। जीवनशैली से जुड़ी आदतों से लेकर आनुवंशिक प्रवृत्तियों तक कई कारण ऐसे हैं जो हृदय संबंधी बीमारियों के विकास में योगदान करते हैं। इनमें से कुछ जोखिमों को नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि उम्र और पारिवारिक इतिहास जैसे कुछ कारक हमारे नियंत्रण से बाहर होते हैं।
इस ब्लॉग में हम हृदय रोग के सबसे प्रमुख कारणों, उनके दिल पर पड़ने वाले प्रभावों और इनसे बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
हृदय रोग के मुख्य कारण
हृदय रोग कई कारकों के संयोजन से होता है, जिनमें से कई कारकों को रोका जा सकता है। नीचे दिए गए हैं कुछ मुख्य जोखिम कारक जिनसे आपको सतर्क रहने की आवश्यकता है:
1. हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन)
- क्या होता है: हाई ब्लड प्रेशर तब होता है जब आपकी धमनियों पर रक्त का दबाव लगातार सामान्य से अधिक बना रहता है। समय के साथ यह अतिरिक्त दबाव धमनियों को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे हृदय रोग विकसित हो सकते हैं।
- हृदय को कैसे प्रभावित करता है: हाई ब्लड प्रेशर हृदय पर ज़्यादा काम का बोझ डालता है, जिससे हृदय को रक्त पंप करने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इससे दिल की विफलता (heart failure), कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ और अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
- भारतीय परिप्रेक्ष्य में: भारत में हाई ब्लड प्रेशर एक गंभीर समस्या है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, हर 4 में से लगभग 1 वयस्क को हाई ब्लड प्रेशर है। यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे को कई गुना बढ़ा सकता है।
2. हाई कोलेस्ट्रॉल
- क्या होता है: कोलेस्ट्रॉल एक चरबीयुक्त पदार्थ है जो आपके रक्त में पाया जाता है। शरीर को कुछ मात्रा में कोलेस्ट्रॉल की ज़रूरत होती है, लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) — जिसे "खराब" कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है — धमनियों में प्लाक (चिकनाई) जमा करने लगता है।
- हृदय को कैसे प्रभावित करता है: जब धमनियों में प्लाक जमा हो जाती है, तो वे संकरी हो जाती हैं, जिससे हृदय तक रक्त का प्रवाह बाधित होता है। यह स्थिति एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) कहलाती है, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ाती है।
- वैश्विक और भारतीय डेटा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल लगभग 26 लाख मौतें हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से होती हैं। भारत में, 47% कार्डियोवैस्कुलर मौतें कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी समस्याओं के कारण होती हैं।
3. धूम्रपान (Smoking)
- क्या होता है: धूम्रपान धमनियों की अंदरूनी परत को नुकसान पहुंचाता है, जिससे उनमें चरबीयुक्त पदार्थ (प्लाक) जमा होने लगता है और वे संकरी हो जाती हैं।
- हृदय को कैसे प्रभावित करता है: धूम्रपान से एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनी संकुचन) की संभावना बढ़ जाती है, जिससे कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) का खतरा होता है। इसके अलावा, यह रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है, जिससे हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
- भारतीय संदर्भ: भारत में धूम्रपान एक गंभीर चिंता का विषय है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS) के अनुसार, भारत में 28% से अधिक वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं। धूम्रपान करने वालों में हृदय रोग होने की संभावना 2 से 4 गुना अधिक होती है, बनिस्बत उन लोगों के जो धूम्रपान नहीं करते।
4. डायबिटीज़ (Diabetes)
- क्या होता है: डायबिटीज़ एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर रक्त में शुगर (ग्लूकोज़) के स्तर को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाता। समय के साथ, अत्यधिक ब्लड शुगर रक्त वाहिकाओं और हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है।
- हृदय को कैसे प्रभावित करता है: उच्च रक्त शर्करा धमनियों को नुकसान पहुंचाती है, जिससे उनमें प्लाक बनने की संभावना बढ़ जाती है। डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों को दिल का दौरा (Heart Attack) और स्ट्रोक जैसी हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा अधिक होता है।
- भारतीय संदर्भ: भारत को "डायबिटीज़ की राजधानी" कहा जाता है, जहां 7.7 करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज़ से पीड़ित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, डायबिटीज़ से पीड़ित वयस्कों में हृदय रोग होने की संभावना 2 से 3 गुना अधिक होती है।
5. मोटापा (Obesity)
- क्या होता है: जब शरीर में अत्यधिक मात्रा में चरबी (फैट) जमा हो जाती है, तो उसे मोटापा कहा जाता है। इसे आमतौर पर बॉडी मास इंडेक्स (BMI) से मापा जाता है। यदि किसी व्यक्ति का BMI 30 या उससे अधिक है, तो वह मोटापे की श्रेणी में आता है।
- हृदय को कैसे प्रभावित करता है: मोटापा कई अन्य जोखिम कारकों को जन्म देता है जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज़। शरीर में अधिक वजन होने से दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे उसे पूरे शरीर में रक्त पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
- प्रचलन: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में 39% वयस्क अधिक वजन वाले हैं और 13% मोटापे के शिकार हैं — और ये आंकड़े हर साल बढ़ रहे हैं। भारत में, खासकर शहरी क्षेत्रों में जीवनशैली में बदलाव के कारण मोटापे के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे हृदय रोग का खतरा भी बढ़ रहा है।
जीवनशैली और हृदय रोग का संबंध
हालाँकि अनुवांशिक कारक हृदय रोग में भूमिका निभाते हैं, लेकिन इसके प्रमुख कारणों में से अधिकांश जीवनशैली से जुड़े होते हैं। नीचे कुछ प्रमुख जीवनशैली से जुड़े कारण दिए गए हैं जो हृदय रोग में योगदान करते हैं:
- खराब आहार (Poor Diet):यदि आपके भोजन में सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट, अधिक नमक (सोडियम) और शक्कर की मात्रा अधिक है, तो हृदय रोग का खतरा काफी बढ़ जाता है। प्रोसेस्ड मांस, शर्करा युक्त पेय और तले हुए खाद्य पदार्थ कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को बढ़ाते हैं, जिससे हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं।
- नियमित व्यायाम की कमी (Lack of Physical Activity): नियमित व्यायाम हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित रखने में, कोलेस्ट्रॉल को कम करने में, रक्त संचार को बेहतर बनाने में मदद करता है।
- वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य (Global & Indian Context): WHO के अनुसार, दुनिया भर में हर 4 में से 1 वयस्क पर्याप्त रूप से सक्रिय नहीं है। भारत में, शहरीकरण और तकनीकी जीवनशैली ने लोगों को अधिक स्थिर जीवन (sedentary lifestyle) की ओर धकेला है, जिससे हृदय रोगों में वृद्धि देखी जा रही है।
हृदय रोग के जोखिम को नियंत्रित और कम करना (Managing and Reducing Your Risk)
अच्छी खबर यह है कि हृदय रोग के अधिकांश प्रमुख कारणों को रोका जा सकता है। यदि आप स्वस्थ जीवनशैली अपनाते हैं, तो हृदय रोग होने का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- रक्तचाप की निगरानी और नियंत्रण करें: हाई ब्लड प्रेशर हृदय रोग का एक प्रमुख कारण है। नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर चेक करें। यदि यह अधिक है तो डॉक्टर से सलाह लें। नमक का सेवन कम करें, तनाव नियंत्रित रखें और नियमित व्यायाम करें। ज़रूरत पड़ने पर दवाओं का सेवन करें।
- धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान छोड़ना आपके हृदय के लिए सबसे अच्छा निर्णय हो सकता है। छोड़ने के सिर्फ 1 साल के भीतर, हृदय रोग का खतरा लगभग 50% तक कम हो जाता है। धूम्रपान रक्त धमनियों को संकुचित करता है और हृदय पर अधिक दबाव डालता है।
- नियमित रूप से व्यायाम करें: WHO के अनुसार, हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाला व्यायाम करें। तेज़ चलना, साइकिल चलाना, तैरना आदि बहुत फायदेमंद होता हैं। यह वजन घटाने, ब्लड प्रेशर कम करने और दिल की धमनियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- हृदय के लिए उपयुक्त आहार लें: फल, सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज, और कम चरबी वाले प्रोटीन का सेवन करें। सैचुरेटेड फैट, प्रोसेस्ड फूड, और शक्कर का सेवन कम करें। यह आपके कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- मधुमेह को नियंत्रित करें: यदि आपको डायबिटीज है, तो यह बहुत ज़रूरी है कि ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें। अनियंत्रित शुगर से धमनियाँ क्षतिग्रस्त होती हैं और हृदय पर असर पड़ता है। डॉक्टर की सलाह से दवाइयों, डाइट और व्यायाम की सहायता से इसे प्रबंधित करें।
निष्कर्ष
हृदय रोग आज भी दुनिया भर में मृत्यु का प्रमुख कारण बना हुआ है, लेकिन इसके कई जोखिम कारक हमारे नियंत्रण में होते हैं। यदि हम इसके कारणों को समझें और उन्हें नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएँ—जैसे उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना, धूम्रपान छोड़ना, और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना—तो हम अपने हृदय रोग के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग रहना और अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे सकारात्मक बदलाव लाना, न केवल हृदय रोग से बचाव करता है बल्कि एक लंबा और स्वस्थ जीवन भी सुनिश्चित करता है।
मुख्य बातें (Key Takeaways):
- हृदय रोग के प्रमुख कारणों में हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, मधुमेह और मोटापा शामिल हैं।
- नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और धूम्रपान छोड़ने जैसे जीवनशैली में बदलाव से हृदय रोग का जोखिम काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- भारत में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और तंबाकू सेवन की दरें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे हृदय रोग का निवारण पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गई है।
References:
- Indian Council of Medical Research (ICMR): Hypertension and Heart Disease in India
- World Health Organization (WHO): Global Cholesterol Risk and Heart Disease
- Global Adult Tobacco Survey (GATS): Tobacco Use in India
- Public Health Foundation of India (PHFI): Heart Disease and Diabetes in India