आपका हृदय पूरे शरीर में रक्त पंप करने के लिए लगातार कार्य करता है, और इसके सुचारु संचालन के लिए हृदय के वाल्व का सही तरीके से कार्य करना अत्यंत आवश्यक है।
आपके हृदय में दो सबसे महत्वपूर्ण वाल्व होते हैं ट्राइकसपिड वाल्व (Tricuspid Valve) और माइट्रल वाल्व (Mitral Valve)। ये वाल्व यह सुनिश्चित करते हैं कि रक्त हृदय के ऊपरी कक्षों (एट्रिया) और निचले कक्षों (वेंट्रिकल्स) के बीच सही दिशा में प्रवाहित हो।
इस ब्लॉग में हम इन दोनों वाल्वों की संरचना (Anatomy) और कार्यप्रणाली (Physiology) को विस्तार से समझेंगे, यह कैसे काम करते हैं और आपके परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) के लिए इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं।
ट्राइकसपिड और माइट्रल वाल्व क्या हैं?
ट्राइकसपिड वाल्व और माइट्रल वाल्व हृदय के एट्रिया और वेंट्रिकल्स के बीच स्थित होते हैं। ये वाल्व यह नियंत्रित करते हैं कि रक्त ऊपरी कक्ष (एट्रियम) से निचले कक्ष (वेंट्रिकल) की ओर कैसे प्रवाहित हो।
- ट्राइकसपिड वाल्व: यह दाएँ एट्रियम और दाएँ वेंट्रिकल के बीच स्थित होता है। इसका कार्य है कि रक्त दाएँ एट्रियम से दाएँ वेंट्रिकल की ओर सही तरीके से जाए और वापस न लौटे।
- माइट्रल वाल्व: यह बाएँ एट्रियम और बाएँ वेंट्रिकल के बीच स्थित होता है। यह फेफड़ों से आने वाले ऑक्सीजन युक्त रक्त को बाएँ वेंट्रिकल में प्रवेश करने देता है और उसे वापस बाएँ एट्रियम में लौटने से रोकता है।
दोनों वाल्व मिलकर हृदय में एकदिशीय (unidirectional) रक्त प्रवाह बनाए रखते हैं, जिससे रक्त परिसंचरण कुशलता से होता है।
ट्राइकसपिड और माइट्रल वाल्व की संरचना (Anatomy)
दोनों वाल्व एट्रियोवेंट्रिकुलर (Atrioventricular – AV) वाल्व कहलाते हैं क्योंकि वे एट्रिया और वेंट्रिकल्स के बीच स्थित होते हैं। दोनों की कार्यप्रणाली समान है, लेकिन उनकी संरचना में थोड़ा अंतर होता है।
1. ट्राइकसपिड वाल्व की संरचना
- स्थान: दाएँ एट्रियम और दाएँ वेंट्रिकल के बीच।
- संरचना: इस वाल्व में तीन पत्तियाँ (leaflets या cusps) होती हैं। ये पत्तियाँ मजबूत रेशेदार तारों (chordae tendineae) से जुड़ी होती हैं, जो वेंट्रिकल में स्थित पपिलरी मसल्स (papillary muscles) से जुड़ी रहती हैं।
- कार्य: यह वाल्व डायस्टोल (जब हृदय आराम की स्थिति में होता है) के दौरान खुलता है ताकि रक्त दाएँ एट्रियम से दाएँ वेंट्रिकल में जा सके। सिस्टोल (जब हृदय संकुचित होता है) के दौरान यह बंद हो जाता है ताकि रक्त पीछे न लौटे।
2. माइट्रल वाल्व की संरचना
- स्थान: बाएँ एट्रियम और बाएँ वेंट्रिकल के बीच।
- संरचना: माइट्रल वाल्व में दो पत्तियाँ होती हैं, इसलिए इसे बाइकसपिड वाल्व भी कहा जाता है। इसकी पत्तियाँ भी chordae tendineae और papillary muscles से जुड़ी होती हैं।
- कार्य: यह वाल्व डायस्टोल के दौरान खुलता है ताकि ऑक्सीजनयुक्त रक्त बाएँ एट्रियम से बाएँ वेंट्रिकल में जा सके। सिस्टोल के दौरान यह बंद होकर रक्त को पीछे जाने से रोकता है।
रोचक तथ्य: माइट्रल वाल्व का नाम “Mitral” इसलिए पड़ा क्योंकि इसकी आकृति एक बिशप की टोपी (mitre) जैसी होती है, जिसमें दो फलक होते हैं।

हृदय चक्र (Cardiac Cycle) में ट्राइकसपिड और माइट्रल वाल्व का कार्य
ये दोनों वाल्व एकसाथ कार्य करते हैं ताकि रक्त एट्रिया से वेंट्रिकल्स की ओर प्रवाहित हो और वापस न लौटे।
1. डायस्टोल के दौरान (हृदय विश्राम अवस्था में)
- ट्राइकसपिड वाल्व: खुल जाता है ताकि रक्त दाएँ एट्रियम से दाएँ वेंट्रिकल में जा सके। इस समय वेंट्रिकल आराम की स्थिति में होता है और रक्त से भरता है।
- माइट्रल वाल्व: इसी तरह बाएँ एट्रियम से बाएँ वेंट्रिकल में ऑक्सीजनयुक्त रक्त जाने देता है।
2. सिस्टोल के दौरान (हृदय संकुचन अवस्था में)
- ट्राइकसपिड वाल्व: वेंट्रिकल संकुचित होते समय यह बंद हो जाता है ताकि रक्त वापस दाएँ एट्रियम में न लौटे और सही दिशा में फेफड़ों की ओर पंप हो।
- माइट्रल वाल्व: बाएँ वेंट्रिकल के संकुचन पर यह वाल्व बंद होकर रक्त को पूरे शरीर में भेजने में सहायता करता है और पीछे के प्रवाह को रोकता है।
इस सटीक समन्वय के कारण ही हृदय सुचारु रूप से कार्य करता है और पूरे शरीर में रक्त का प्रवाह संतुलित रहता है।
ट्राइकसपिड और माइट्रल वाल्व के सामान्य विकार
जब ये वाल्व सही ढंग से कार्य नहीं करते, तो यह रक्त प्रवाह में बाधा डाल सकते हैं और गंभीर हृदय रोग उत्पन्न कर सकते हैं।
1. ट्राइकसपिड वाल्व विकार
- ट्राइकसपिड रिगर्जिटेशन: जब वाल्व पूरी तरह से बंद नहीं होता और रक्त वापस दाएँ एट्रियम में लौटता है।
- लक्षण: थकान, पैरों में सूजन, सांस फूलना।
- भारतीय संदर्भ: ग्रामीण क्षेत्रों में यह स्थिति प्रायः रयूमैटिक हृदय रोग (Rheumatic Heart Disease) से जुड़ी होती है।
- ट्राइकसपिड स्टेनोसिस: जब वाल्व संकीर्ण हो जाता है और रक्त प्रवाह में रुकावट उत्पन्न करता है।
- लक्षण: थकान, सांस फूलना, हृदय की धड़कन तेज होना।
- वैश्विक डेटा: WHO के अनुसार, विकासशील देशों में रयूमैटिक हृदय रोग ट्राइकसपिड स्टेनोसिस का प्रमुख कारण है।
2. माइट्रल वाल्व विकार
- माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स (MVP): इसमें वाल्व की पत्तियाँ पीछे की ओर उभर जाती हैं, जिससे रक्त वापस एट्रियम में जा सकता है।
- लक्षण: धड़कन तेज होना, सीने में दर्द, थकान, चक्कर।
- वैश्विक संदर्भ: AHA के अनुसार, यह स्थिति विश्व की लगभग 2-3% आबादी को प्रभावित करती है।
- माइट्रल स्टेनोसिस: जब माइट्रल वाल्व संकीर्ण हो जाता है, जिससे रक्त प्रवाह कम हो जाता है।
- लक्षण: सांस फूलना, सीने में दर्द, थकान।
- भारतीय संदर्भ: रयूमैटिक हृदय रोग इसका मुख्य कारण है और भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या अधिक देखी जाती है।
हृदय वाल्वों को स्वस्थ रखने के उपाय
- ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें: हाई ब्लड प्रेशर वाल्व को नुकसान पहुंचा सकता है, विशेष रूप से माइट्रल और ट्राइकसपिड वाल्व को।
- रयूमैटिक फीवर की रोकथाम करें: गले में संक्रमण (Strep Throat) का समय पर इलाज करें ताकि रयूमैटिक फीवर से बचा जा सके।
- नियमित व्यायाम करें: रोजाना 30 मिनट तक मध्यम व्यायाम करने से हृदय मजबूत होता है और रक्त प्रवाह सही रहता है।
- नियमित हृदय जांच करवाएं: ईकोकार्डियोग्राम जैसी जांच से वाल्व की स्थिति का प्रारंभिक पता लगाया जा सकता है और समय रहते इलाज किया जा सकता है।
निष्कर्ष
ट्राइकसपिड और माइट्रल वाल्व हृदय की कार्यप्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये सुनिश्चित करते हैं कि रक्त हृदय के कक्षों में एक ही दिशा में बहे और वापस न लौटे। इनकी संरचना, कार्य और संभवित विकारों को समझना आवश्यक है ताकि आप अपने हृदय का बेहतर ख्याल रख सकें।
ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखना, संक्रमण से बचाव करना और नियमित जांच करवाना, ये सभी कदम आपके हृदय वाल्वों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।



