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हृदय की एनाटॉमी और फिजियोलॉजी/हृदय वाल्व

हृदय वाल्व: परिसंचरण तंत्र में उनकी भूमिका को समझें

हृदय वाल्व: परिसंचरण तंत्र में उनकी भूमिका को समझें
Team SH

Team SH

Published on

November 4, 2025

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मानव हृदय केवल रक्त पंप करने वाली एक शक्तिशाली मांसपेशी ही नहीं है, बल्कि यह रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए वाल्वों (valves) की एक श्रृंखला पर भी निर्भर करता है। ये हृदय वाल्व सुनिश्चित करते हैं कि रक्त हमेशा सही दिशा में बहे और वापस न लौटे। यदि ये वाल्व न हों, तो हृदय प्रभावी रूप से रक्त पंप नहीं कर पाएगा।

इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि हृदय के चारों वाल्व कैसे काम करते हैं, वे परिसंचरण तंत्र (circulatory system) में क्या भूमिका निभाते हैं, और क्यों ये हमारे जीवित और स्वस्थ रहने के लिए इतने आवश्यक हैं।

हृदय वाल्व क्या होते हैं?

हृदय वाल्व झिल्ली जैसी संरचनाएँ होती हैं जो हृदय के कक्षों (chambers) के बीच तथा निलयों (ventricles) और मुख्य धमनियों के बीच स्थित होती हैं। ये वाल्व एकतरफा द्वार (one-way doors) की तरह काम करते हैं खुलते समय रक्त को आगे बढ़ने देते हैं और बंद होकर रक्त को वापस जाने से रोकते हैं।

हृदय में चार मुख्य वाल्व होते हैं:

  1. ट्राइकस्पिड वाल्व (Tricuspid Valve)
  2. पल्मोनरी वाल्व (Pulmonary Valve)
  3. माइट्रल वाल्व (Mitral Valve)
  4. एऑर्टिक वाल्व (Aortic Valve)

हर धड़कन के साथ ये वाल्व एक बार खुलते और बंद होते हैं, जिससे रक्त का प्रवाह एक ही दिशा में सुचारू रूप से बना रहता है। आइए अब जानते हैं कि ये चारों वाल्व कैसे काम करते हैं।

हृदय वाल्व: परिसंचरण तंत्र में उनकी भूमिका को समझें

हृदय के चार वाल्व और उनका कार्य

1. ट्राइकस्पिड वाल्व (Tricuspid Valve)

  • स्थान: दाएँ आलिंद (right atrium) और दाएँ निलय (right ventricle) के बीच।
  • कार्य: यह वाल्व ऑक्सीजन-रहित रक्त को दाएँ आलिंद से दाएँ निलय में जाने की अनुमति देता है। यह डायस्टोल (diastole – विश्राम अवस्था) के दौरान खुलता है और सिस्टोल (systole – संकुचन अवस्था) में बंद होकर रक्त को वापस दाएँ आलिंद में जाने से रोकता है।

2. पल्मोनरी वाल्व (Pulmonary Valve)

  • स्थान: दाएँ निलय और फुफ्फुसी धमनी (pulmonary artery) के बीच।
  • कार्य: यह वाल्व ऑक्सीजन-रहित रक्त को फेफड़ों तक पहुँचने की अनुमति देता है ताकि वह वहाँ ऑक्सीजन ग्रहण कर सके। यह सिस्टोल के दौरान खुलता है और रक्त गुजरने के बाद बंद होकर उसे वापस दाएँ निलय में लौटने से रोकता है।

3. माइट्रल वाल्व (Mitral Valve)

  • स्थान: बाएँ आलिंद (left atrium) और बाएँ निलय (left ventricle) के बीच।
  • कार्य: यह वाल्व ऑक्सीजन-युक्त रक्त को बाएँ आलिंद से बाएँ निलय में प्रवाहित होने देता है। यह भी डायस्टोल के दौरान खुलता है और सिस्टोल के दौरान बंद होकर रक्त को वापस बाएँ आलिंद में जाने से रोकता है।

4. एऑर्टिक वाल्व (Aortic Valve)

  • स्थान: बाएँ निलय और महाधमनी (aorta) के बीच।
  • कार्य: यह वाल्व ऑक्सीजन-युक्त रक्त को बाएँ निलय से महाधमनी में जाने देता है, जहाँ से रक्त पूरे शरीर में पहुँचता है। यह सिस्टोल में खुलता है और डायस्टोल में बंद होकर रक्त को वापस निलय में लौटने से रोकता है।

रोचक तथ्य: माइट्रल वाल्व का नाम एक बिशप की टोपी “माइटर” से लिया गया है, क्योंकि इसकी दो फड़फड़ियाँ उसी टोपी जैसी दिखती हैं।

हृदय वाल्व कैसे मिलकर काम करते हैं

हृदय के वाल्व, कक्षों और रक्त वाहिकाओं के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि रक्त प्रवाह हमेशा सही दिशा में और सुचारू रूप से बना रहे। इसका क्रम इस प्रकार है:

  1. ऑक्सीजन-रहित रक्त शरीर से दाएँ आलिंद में प्रवेश करता है और ट्राइकस्पिड वाल्व से होते हुए दाएँ निलय में पहुँचता है।
  2. जब दायाँ निलय संकुचित होता है, तो पल्मोनरी वाल्व खुलता है और रक्त फेफड़ों तक चला जाता है जहाँ यह ऑक्सीजन ग्रहण करता है।
  3. ऑक्सीजन-युक्त रक्त फेफड़ों से बाएँ आलिंद में लौटता है और माइट्रल वाल्व से होकर बाएँ निलय में जाता है।
  4. बायाँ निलय संकुचित होता है, एऑर्टिक वाल्व खुलता है और रक्त महाधमनी के माध्यम से पूरे शरीर में पहुँचता है।

इन वाल्वों का खुलना और बंद होना पूरी तरह समयबद्ध होता है, जिससे रक्त केवल एक दिशा में बहता है और कोई भी “बैकफ्लो” नहीं होता। यही समन्वय (coordination) हमारे हृदय की दक्षता और शरीर में निरंतर ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करता है।

हृदय वाल्व से संबंधित सामान्य विकार

1. वाल्व स्टेनोसिस (Valve Stenosis)

जब कोई वाल्व संकरा या कठोर हो जाता है और रक्त के प्रवाह में बाधा डालता है, तो इसे स्टेनोसिस कहते हैं। इससे हृदय को रक्त पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है।

  • लक्षण: सीने में दर्द, सांस फूलना, थकान।
  • उदाहरण: एऑर्टिक स्टेनोसिस, जिसमें एऑर्टिक वाल्व संकरा हो जाता है। यह प्रायः उम्र बढ़ने या वाल्व पर कैल्शियम जमा होने से होता है।

2. वाल्व रिगर्जिटेशन (Valve Regurgitation)

जब कोई वाल्व पूरी तरह बंद नहीं होता और रक्त वापस बहने लगता है, तो इसे रिगर्जिटेशन कहा जाता है। इससे रक्त कक्षों में एकत्र हो सकता है और यदि इलाज न हो, तो हृदय विफलता (heart failure) का खतरा बढ़ जाता है।

  • लक्षण: थकान, पैरों या टखनों में सूजन, सांस फूलना।
  • उदाहरण: माइट्रल वाल्व रिगर्जिटेशन, जिसमें माइट्रल वाल्व ठीक से बंद नहीं होता और रक्त बाएँ आलिंद में वापस चला जाता है।

3. माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स (Mitral Valve Prolapse - MVP)

इस स्थिति में माइट्रल वाल्व की फड़फड़ियाँ संकुचन के दौरान थोड़ा उभरकर बाएँ आलिंद में चली जाती हैं। कभी-कभी यह रिगर्जिटेशन का कारण बनता है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह गंभीर समस्या नहीं होती।

  • लक्षण: सीने में दर्द, धड़कन का महसूस होना, चक्कर आना।
  • वैश्विक आँकड़ा: अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के अनुसार, विश्व की लगभग 2-3% आबादी को MVP होता है, जो प्रायः सामान्य जांच के दौरान पता चलता है।

वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य: हृदय वाल्व रोग

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्वभर में लगभग 1.3 करोड़ लोग हृदय वाल्व रोगों से प्रभावित हैं। भारत में भी इन बीमारियों की संख्या बढ़ रही है, विशेष रूप से रयूमेटिक हृदय रोग (Rheumatic Heart Disease) के कारण, जो ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी आम है।

रयूमेटिक हृदय रोग का कारण स्टेप्टोकोकल संक्रमण (जैसे स्ट्रेप थ्रोट) का समय पर उपचार न होना है, जो धीरे-धीरे हृदय वाल्वों को नुकसान पहुँचाता है। भारत में यह बीमारी बच्चों और युवाओं में विशेष रूप से देखी जाती है।

हृदय वाल्वों को स्वस्थ रखने के उपाय

  1. हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें: लगातार बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर वाल्वों पर दबाव डालता है, विशेष रूप से एऑर्टिक वाल्व पर। जीवनशैली में बदलाव और दवाओं से इसे नियंत्रण में रखना जरूरी है।
  2. नियमित स्वास्थ्य जांच कराएँ: कई वाल्व रोग धीरे-धीरे बढ़ते हैं और प्रारंभिक चरण में लक्षण नहीं देते। नियमित जांच और इकोकार्डियोग्राम (हृदय अल्ट्रासाउंड) से इन्हें समय रहते पहचाना जा सकता है।
  3. नियमित व्यायाम करें: प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट मध्यम व्यायाम (जैसे तेज़ चलना, योग, तैरना) करने से हृदय मजबूत होता है और वाल्वों पर दबाव कम पड़ता है।
  4. रयूमेटिक बुखार से बचें: भारत में हृदय वाल्वों की सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है। स्ट्रेप थ्रोट का समय पर इलाज एंटीबायोटिक से कराने से रयूमेटिक हृदय रोग रोका जा सकता है।

निष्कर्ष

आपके हृदय के वाल्व छोटे होते हुए भी अत्यंत महत्वपूर्ण घटक हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि रक्त हमेशा सही दिशा में और सुचारू रूप से बहे। प्रत्येक वाल्व के कार्य को समझना और उनसे जुड़ी बीमारियों की जानकारी रखना हृदय स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखना, सक्रिय रहना और नियमित जांच कराना ये सरल कदम आपके हृदय वाल्वों को लंबे समय तक स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।

मुख्य बातें (Key Takeaways):

  • हृदय में चार वाल्व होते हैं ट्राइकस्पिड, पल्मोनरी, माइट्रल और एऑर्टिक, जो रक्त प्रवाह को नियंत्रित करते हैं।
  • वाल्व यह सुनिश्चित करते हैं कि रक्त एक दिशा में बहे और वापस न लौटे।
  • सामान्य वाल्व विकारों में स्टेनोसिस, रिगर्जिटेशन और माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स शामिल हैं।
  • स्वस्थ जीवनशैली, नियमित जांच और रयूमेटिक बुखार की रोकथाम से हृदय वाल्व लंबे समय तक स्वस्थ रखे जा सकते हैं।
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