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हृदय की एनाटॉमी और फिजियोलॉजी/हृदय वाल्व

एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व: रक्त प्रवाह का प्रवेशद्वार

एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व: रक्त प्रवाह का प्रवेशद्वार
Team SH

Team SH

Published on

July 15, 2025

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हृदय में चार महत्वपूर्ण वॉल्व होते हैं, लेकिन जब बात रक्त को हृदय से फेफड़ों या शरीर में भेजने की होती है, तो महाधमनी वॉल्व (एओर्टिक वॉल्व) और पल्मोनरी वॉल्व सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।

ये दोनों वॉल्व “गेटवे” की तरह काम करते हैं जो रक्त को हृदय से बाहर जाने की अनुमति देते हैं — यह सुनिश्चित करते हुए कि ऑक्सीजन-हीन रक्त फेफड़ों की ओर जाए और ऑक्सीजन-युक्त रक्त शरीर के अन्य भागों तक पहुंचे।

इस ब्लॉग में, हम एओर्टिक व पल्मोनरी वॉल्व की संरचना और कार्यों को विस्तार से समझेंगे और जानेंगे कि ये हृदय के रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने में कितने आवश्यक हैं।

एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व क्या होते हैं?

एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व हृदय के निचले चैंबरों (वेंट्रिकल्स) और उन धमनियों के बीच स्थित होते हैं जो रक्त को हृदय से बाहर ले जाती हैं। ये वॉल्व रक्त को एक ही दिशा में प्रवाहित करने में मदद करते हैं और वापस हृदय में बहने से रोकते हैं।

  • एओर्टिक वॉल्व: यह बाएं वेंट्रिकल से ऑक्सीजन-युक्त रक्त को एओर्टा (शरीर की सबसे बड़ी धमनी) में जाने की अनुमति देता है, जिससे रक्त पूरे शरीर में पहुंचता है।
  • पल्मोनरी वॉल्व: यह दाएं वेंट्रिकल से ऑक्सीजन-हीन रक्त को पल्मोनरी आर्टरी में जाने देता है, जो रक्त को फेफड़ों तक ऑक्सीजन लेने के लिए ले जाती है।

हर हृदय की धड़कन के साथ ये वॉल्व खुलते और बंद होते हैं ताकि रक्त कुशलता से शरीर में प्रवाहित हो और वापस हृदय में न लौटे।

एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व की संरचना (एनाटॉमी)

एओर्टिक और पल्मोनरी दोनों वॉल्व को सेमिल्यूनर वॉल्व कहा जाता है क्योंकि इनका आकार आधे चंद्रमा जैसा होता है। इन दोनों वॉल्व में तीन पत्तियाँ (cusps या leaflets) होती हैं जो रक्त को आगे बढ़ने देती हैं और फिर वापस बहने से रोकने के लिए बंद हो जाती हैं।

1. एओर्टिक वॉल्व की संरचना

  • स्थान: यह बाएं वेंट्रिकल और एओर्टा के बीच स्थित होता है।
  • संरचना: इसमें तीन पत्तियाँ होती हैं जो एक रिंगनुमा फाइबर्स (फाइब्रस टिशू) से जुड़ी होती हैं, जिसे एन्युलस कहा जाता है।
  • कार्य: जब बायां वेंट्रिकल संकुचित होता है, तो यह वॉल्व खुलता है और ऑक्सीजन-युक्त रक्त को एओर्टा में जाने देता है। रक्त निकलने के बाद यह बंद हो जाता है ताकि रक्त वापस बाएं वेंट्रिकल में न लौटे।

2. पल्मोनरी वॉल्व की संरचना

  • स्थान: यह दाएं वेंट्रिकल और पल्मोनरी आर्टरी के बीच स्थित होता है।
  • संरचना: इसमें भी तीन पत्तियाँ होती हैं जो वेंट्रिकल के संकुचन के समय खुलती हैं और रक्त प्रवाह के बाद बंद हो जाती हैं।
  • कार्य: यह वॉल्व ऑक्सीजन-हीन रक्त को दाएं वेंट्रिकल से पल्मोनरी आर्टरी में जाने देता है, ताकि वह रक्त फेफड़ों में ऑक्सीजन प्राप्त कर सके। फिर यह वॉल्व बंद हो जाता है ताकि रक्त वापस वेंट्रिकल में न आए।

दिलचस्प तथ्य: एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व इस तरह डिज़ाइन किए गए हैं कि वे वेंट्रिकल्स के संकुचन के दौरान उत्पन्न हाई प्रेशर को सहन कर सकें। यही कारण है कि ये वॉल्व एट्रियोवेंट्रिकुलर (AV) वॉल्व की तुलना में अधिक मजबूत होते हैं।

एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व: रक्त प्रवाह का प्रवेशद्वार

कार्डिएक साइकिल में एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व की भूमिका कैसे होती है

एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व कार्डिएक साइकिल (हृदय की कार्य चक्र) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये वॉल्व सिस्टोल (हृदय के संकुचन चरण) के दौरान रक्त को हृदय से बाहर और धमनियों में प्रवाहित करने में सहायता करते हैं।

1. डायस्टोल (हृदय के शिथिलन चरण) के दौरान

  • एओर्टिक वॉल्व: डायस्टोल के समय एओर्टिक वॉल्व बंद रहता है, जिससे बायां वेंट्रिकल बाएं एट्रियम से ऑक्सीजन-युक्त रक्त से भर सके।
  • पल्मोनरी वॉल्व: इसी तरह, डायस्टोल के दौरान पल्मोनरी वॉल्व भी बंद रहता है, ताकि दायां वेंट्रिकल दाएं एट्रियम से ऑक्सीजन-हीन रक्त से भर सके।

2. सिस्टोल (हृदय के संकुचन चरण) के दौरान

  • एओर्टिक वॉल्व: जैसे ही बायां वेंट्रिकल संकुचित होता है, एओर्टिक वॉल्व खुलता है और ऑक्सीजन-युक्त रक्त को एओर्टा में प्रवाहित होने देता है, जिससे यह पूरे शरीर में पहुंच सके।
  • पल्मोनरी वॉल्व: उसी समय, पल्मोनरी वॉल्व भी खुलता है ताकि ऑक्सीजन-हीन रक्त दाएं वेंट्रिकल से पल्मोनरी आर्टरी में प्रवाहित होकर फेफड़ों तक पहुँच सके, जहां वह ऑक्सीजन प्राप्त करता है।

जैसे ही रक्त वॉल्व से होकर निकल जाता है, ये वॉल्व कसकर बंद हो जाते हैं ताकि रक्त हृदय कक्षों में वापस न लौटे।

एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व से जुड़ी सामान्य बीमारियाँ

अन्य वॉल्व्स की तरह, एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व भी ऐसी बीमारियों से प्रभावित हो सकते हैं जो उनके कार्य को बाधित करती हैं। कुछ आम समस्याएं इस प्रकार हैं:

1. एओर्टिक वॉल्व की बीमारियाँ

  • एओर्टिक स्टेनोसिस (Aortic Stenosis): जब एओर्टिक वॉल्व संकरा हो जाता है, अक्सर कैल्शियम जमा होने या उम्र बढ़ने के कारण, तो इसे एओर्टिक स्टेनोसिस कहते हैं। इससे बाएं वेंट्रिकल से एओर्टा में रक्त का प्रवाह रुक जाता है और हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
  • लक्षण: सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, थकान
  • भारतीय संदर्भ: इंडियन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, भारत में उम्र बढ़ने और जीवनशैली संबंधी रोगों (जैसे हाई ब्लड प्रेशर) में वृद्धि के कारण एओर्टिक स्टेनोसिस के मामलों में इजाफा देखा जा रहा है।
  • एओर्टिक रिगरजिटेशन (Aortic Regurgitation): जब एओर्टिक वॉल्व सही से बंद नहीं होता और रक्त वापस बाएं वेंट्रिकल में लौटने लगता है, तो इसे एओर्टिक रिगरजिटेशन कहा जाता है। इससे हृदय को अधिक मात्रा में रक्त पंप करना पड़ता है, जिससे वेंट्रिकल फैल सकता है और उपचार न मिलने पर हार्ट फेलियर हो सकती है।
  • लक्षण: सांस फूलना, थकान, धड़कनों का असामान्य अनुभव

2. पल्मोनरी वॉल्व की बीमारियाँ

  • पल्मोनरी स्टेनोसिस (Pulmonary Stenosis): इस स्थिति में पल्मोनरी वॉल्व संकरा हो जाता है, जिससे दाएं वेंट्रिकल से फेफड़ों तक रक्त प्रवाह में बाधा आती है। यह स्थिति प्रायः जन्मजात होती है, यानी जन्म से ही मौजूद होती है।
  • लक्षण: सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, बेहोशी
  • वैश्विक डेटा: अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, हर 2,000 बच्चों में से 1 को यह समस्या होती है।
  • पल्मोनरी रिगरजिटेशन (Pulmonary Regurgitation): जब पल्मोनरी वॉल्व पूरी तरह से बंद नहीं होता और रक्त वापस दाएं वेंट्रिकल में लौटता है, तो उसे पल्मोनरी रिगरजिटेशन कहते हैं। यह स्थिति पल्मोनरी हाइपरटेंशन या हार्ट सर्जरी की जटिलताओं के कारण हो सकती है।
  • लक्षण: थकान, पैरों में सूजन, सांस लेने में कठिनाई

Reference for Data:

वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य: हार्ट वॉल्व डिसीज़ (हृदय वाल्व रोग)

हार्ट वॉल्व डिसीज़ (हृदय वाल्व संबंधी रोग) एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है, जो करोड़ों लोगों को प्रभावित कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में 1.3 करोड़ से अधिक लोग हृदय वाल्व रोगों से पीड़ित हैं, जिनमें एओर्टिक और पल्मोनरी वाल्व से संबंधित विकार भी शामिल हैं।

भारत में, हृदय वाल्व रोगों का बोझ लगातार बढ़ रहा है। एओर्टिक स्टेनोसिस और अन्य वाल्व संबंधी बीमारियाँ उम्रदराज़ आबादी और जीवनशैली से जुड़े कारकों जैसे हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ के कारण अधिक आम हो रही हैं। इसके अलावा, कई ग्रामीण क्षेत्रों में रुमेटिक हार्ट डिज़ीज़ (रयूमैटिक हृदय रोग) के मामले भी सामने आते हैं, जो समय पर इलाज न होने पर हृदय के वाल्व को स्थायी रूप से क्षति पहुँचा सकते हैं।

कैसे रखें अपने एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व को स्वस्थ

एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व का स्वास्थ्य बनाए रखना रक्त के उचित प्रवाह और वॉल्व से जुड़ी जटिलताओं से बचाव के लिए आवश्यक है। नीचे दिए गए सुझावों को अपनाकर आप अपने वॉल्व को स्वस्थ रख सकते हैं:

  1. हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करें: हाई ब्लड प्रेशर हृदय के वाल्व, विशेष रूप से एओर्टिक वॉल्व पर अधिक दबाव डालता है। उचित आहार, नियमित व्यायाम और आवश्यक दवाओं के माध्यम से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना वॉल्व को क्षति से बचा सकता है।
  2. नियमित जाँच कराएं: हार्ट की रूटीन जांच — जैसे इकोकार्डियोग्राफी (हृदय का अल्ट्रासाउंड) — वॉल्व से जुड़ी समस्याओं का समय रहते पता लगाने में मदद करती है। एओर्टिक स्टेनोसिस और पल्मोनरी रिगरजिटेशन जैसी स्थितियों को गंभीर होने से पहले पहचानकर उनका प्रभावी इलाज संभव है।
  3. सक्रिय जीवनशैली अपनाएं: नियमित शारीरिक गतिविधि हृदय को मजबूत बनाती है और वॉल्व को ठीक से कार्य करने में मदद करती है। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार, रोजाना केवल 30 मिनट की मध्यम एक्सरसाइज हार्ट वॉल्व डिज़ीज़ के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है।
  4. धूम्रपान से बचें: धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को संकीर्ण करता है और हृदय तथा उसके वाल्व को ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित करता है। धूम्रपान छोड़ने से हृदय की समग्र कार्यक्षमता में सुधार आता है और वॉल्व विकारों का खतरा घटता है।

निष्कर्ष

एओर्टिक और पल्मोनरी वॉल्व हृदय के अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्से हैं, जो रक्त को शरीर और फेफड़ों की ओर प्रवाहित करने का कार्य करते हैं। ये वॉल्व हर धड़कन के साथ खुलते और बंद होते हैं, जिससे रक्त सही दिशा में प्रवाहित होता है और वापस नहीं लौटता।

इनकी संरचना, कार्य और उनसे जुड़ी बीमारियों की जानकारी रखकर आप उनके हेल्थ की देखभाल कर सकते हैं। नियमित चेक-अप, ब्लड प्रेशर का नियंत्रण और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आपके हृदय वॉल्व को लंबे समय तक स्वस्थ रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

मुख्य बिंदु (Key Takeaways):

  • एओर्टिक वॉल्व बाएं वेंट्रिकल से एओर्टा में ऑक्सीजन-युक्त रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है, जबकि पल्मोनरी वॉल्व दाएं वेंट्रिकल से फेफड़ों की ओर ऑक्सीजन-हीन रक्त को भेजता है।
  • आम विकारों में शामिल हैं: एओर्टिक स्टेनोसिस, एओर्टिक रिगरजिटेशन, पल्मोनरी स्टेनोसिस और पल्मोनरी रिगरजिटेशन।
  • नियमित हृदय चेक-अप, ब्लड प्रेशर का प्रबंधन और सक्रिय जीवनशैली, हार्ट वॉल्व को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक हैं।
  • भारत में हृदय वॉल्व रोग तेजी से बढ़ रहे हैं, विशेषकर उम्र बढ़ने और जीवनशैली संबंधी बीमारियों के कारण।

References:

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